Sahitya Aur Samaj Essay in Hindi | साहित्य और समाज निबंध 2021 | Sahitya kise kehate hai Essay download in Hindi.
- साहित्य किसे कहते है ।
- Essay on Sahitya Aur Samaj in Hindi
- साहित्य का अर्थ
- Sahitya Aur samaj Essay in Hindi
- समाज पर कविता ।
- संस्कृति की परिभाषा
साहित्य और समाज निबंध
- प्रस्तावना
- साहित्य तथा समाज का संबंध
- साहित्य का समाज पर प्रभाव
- समाज पर साहित्य का प्रभाव
- समाज के उत्थान में साहित्य का योगदान
- उपसंहार
साहित्य तथा समाज का संबंध Watch on Youtube
प्रस्तावना- जिस प्रकार सूर्य के प्रकाश से जगत में उजाला होता है उसी प्रकार साहित्य के प्रकाश से समाज का अंधकार दूर होता है समाज का अंधकार दूर करने में साहित्य का बहुत बड़ा योगदान है समाज के मस्तिष्क से जो भाव निकलते हैं उसी संचित भाव को साहित्य के नाम से जाना जाता है साहित्य की भावना में राष्ट्रीयता एवं सामाजिकता का भाव शक्तिहीन हो जाता है जिसके कारण समाज की गतिविधियों को व्यक्त करने के लिए एक सरल साधन प्राप्त होता है।
साहित्य तथा समाज का संबंध- साहित्य तथा समाज एक दूसरे से बहुत करीब का संबंध रखते हैं साहित्य में मानव समाज के भाव को व्यक्त करता है इसके आधार पर कुछ विद्वानों ने साहित्य को समाज की ज्योति तथा समाज का ज्ञान और समाज का आईना कहां है विश्व के महान रचनाकारों ने अपनी रचनाओं में समाज के विभिन्न प्रकारों का वर्णन किया है तथा समाज के स्वरूप के बारे में बताएं है।
साहित्य का समाज पर प्रभाव- साहित्य के प्रभाव से कोई भी काल परे नहीं है तथा साहित्य का प्रभाव सभी काल पर पड़ता है समाज को अपनी आवश्यकताओं की सुविधा के लिए साहित्य पर निर्भर होना पड़ता है एक अच्छा साहित्य समाज के स्वरूप में आवश्यकता की पूर्ति करता है साहित्य की शक्ति तलवार बम गोल से भी बड़ी होती है।
Sahitya Aur Samaj par nibandh
समाज को साहित्य का आईना माना जाता है फिर स्वयं समाज साहित्य के आईने से प्रभावित होता है हिंदी साहित्य की दृष्टि से यह बात स्वयं व्यस्त हो जाती है वीरगाथा काल का स्वरूप युद्ध एवं शांति से भरा हुआ था वीरता का प्रदर्शन ही मानव जीवन का महत्व कहलाता है।
युद्ध हमेशा अशांति एवं झगड़ों के कारण होते हैं उस युग के आधार पर अनुकूल ही चारण कवियों ने काव्य रचना का वर्णन किया इस काल में प्रमुख रूप से प्रकृति में वीर और श्रृंगार रस की प्रधानता है इसके आधार पर ही काव्य रचना हुई भक्ति काल का समय चालू होते ही विदेशियों ने अपने शासन को लागू करना प्रारंभ कर दिया जिसके कारण भारत की संस्कृति एवं कला में आशंका आने लगी निराशा के कारण मानव जनता को भक्ति आंदोलन की सशक्त लहरी ने जीवनदायिनी प्रेरणा दी यही कारण है।
साहित्यकार ज्ञान और स्नेह के रूप से प्रभावित होते हैं इस समय कुछ महान विद्वानों ने राम और कृष्ण की लोक मंगलकारी रूपों के सहारे पूरे समाज में धैर्य की स्थापना की महान संतों तथा विद्वानों के कारण ही इस समाज में चेतना का संचार प्राप्त हुआ तथा निराशा से मुक्त हुए रीतिकाल में काव्य का पूरा सृजन मिलता है दरबारी विलासिता से प्रेरित होकर बिहारी और देव जैसे प्रतिनिधि कवि नारी के अंगों के मादक चित्रण को निहारने मैं लीन थे।
साहित्य किसे कहते है
समय के साथ विभिन्न प्रकार की कविता कामिनी अपना सिंगार स्वरूप निहारने लगी थी आधुनिक काल प्रारंभ होने के साथ भारतीय समाज पर पुरानी सभ्यता का प्रभाव होने लगा था विज्ञान के द्वारा साहित्य और समाज में बहुत बड़े-बड़े परिवर्तन हुए हैं नव जागृत से उत्साहित होकर साहित्य की धारा समाज सुधार की ओर आगमन करने लगी कवियों की भाषा रोजी रोटी समाज सुधार आदि प्रकारों की समस्याओं को स्वर प्रदान करती है समाज अपने अनुकूल साहित्य में बदलाव लाता है ।
समाज का साहित्य पर प्रभाव- समाज के प्रभाव के बिना आदर्श साहित्य की रचना करना व्यर्थ है साहित्यकार तीन भागो में विभक्त हैं इसीलिए वहां अंत समय के परिपेक्ष में आने वाले समय का अंकन भविष्य दर्शाता है साहित्य में समाज की सभी प्रकारों की समस्याओं का समाधान मिलता है साहित्य में सामाजिक परंपराएं घटनाएं तथा परिस्थितियाआदि समाज की जनता को प्रेरित करती है साहित्यकार भी समाज का प्राणी कहलाता है तथा वह इस प्रभाव से दूर नहीं रह सकता हम समाज में जो कुछ भी देखते हैं और सीखते हैं उसे साहित्य के रूप में अभी व्यक्त करते हैं इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि समाज का साहित्य पर प्रभाव पड़ता है।
साहित्य का अर्थ
समाज के उत्थान में साहित्य का योगदान- समाज की दशा सुधारने के लिए आवश्यक है कि साहित्य को समाज के रूप में अपनाएं और साहित्य के गुणों को समाज में उतारे साहित्य से समाज को बहुत सारी प्रेरणा मिलती है इसलिए हमें समाज के उत्थान के लिए साहित्य को उपयोग में लाना चाहिए साहित्य से ही समाज का उत्थान संभव है इस प्रकार समाज को एक सही दिशा देने के लिए साहित्य का होना आवश्यक है ।
उपसंहार- हमारे जीवन में साहित्य का ऐसा महत्व है जो कभी खत्म नहीं हो सकता साहित्य से हमारे समाज को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है सही दिशा मिलती है जिस पर चलकर हम एक श्रेष्ठ समाज का निर्माण कर सकते हैं साहित्य मानव जीवन को सुधारने के साथ समाज के पथ प्रदर्शन मैं भी सुधार करता है साहित्य में मानव जीवन के अतीत का भी वर्णन मिलता है वर्तमान का चित्रण भी प्रदर्शित होता है तथा भविष्य के निर्माण की भी प्रेरणा मिलती है इसी कारण हम कह सकते हैं कि साहित्य और समाज का गहरा संबंध है साहित्य और समाज को परिवर्तित करता है एक स्वस्थ साहित्य इस प्रकार कार्य करता है कि वह समाज को मार्गदर्शन दे रहा हो ।
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