महादेवी वर्मा का जीवन परिचय | Mahadevi Verma Biography in Hindi | Mha devi Varma Jivan Prichay | Mahadevi Verma ka jivan Parichay Hindi me | Mahadevi Verma Biography in Hindi 2021-22 | Maha deci biography for class 10th 9th 11th 12th students. Important jivan parichay bataiye.
महादेवी वर्मा का साहित्य परिचय
Who is Mahadevi verma in Hindi
Mahadevi verma का जीवन परिचय हिंदी में
- महादेवी वर्मा का जन्म कहां हुआ था – फर्रुखाबाद
- महादेवी वर्मा ने लड़कियों के लिए क्या काम किया –
- Mahadevi verma का मूल नाम क्या है –
- महादेवी वर्मा के दो काव्य संग्रह के नाम – निहार, रश्मि
- महादेवी वर्मा के पिता का नाम – गोविंद प्रसाद
- Mahadevi verma की माता का नाम – हेमरानी देवी
- महादेवी वर्मा का जन्म – 1907
About Mahadevi Verma in Hindi-
Mahadevi Verma in Hindi
जीवन परिचय- महादेवी वर्मा जी का जन्म फर्रुखाबाद मे 26 मार्च सन 1907 ईस्वी में हुआ था उनका परिवार सरल स्वभाव का था महादेवी जी के पिता का नाम गोविंद प्रसाद तथा माता का नाम हेमरानी देवी था महादेवी वर्मा के पिता भागलपुर विद्यालय में प्रधानाचार्य तथा माता विदुषी भक्ति की महिला के नाम से जानी जाती थी
महादेवी वर्मा ने कबीर तथा मीरा के पदों का भी आव्हान अपने भक्ति में किया है महादेवी वर्मा ने साहित्य कविता और भक्ति की शिक्षा अपनी माता से ली थी महादेवी वर्मा ने घर में रहकर संगीत तथा चित्रकला का अध्ययन किया
प्रारंभिक शिक्षा का अध्ययन इंदौर में किया उसके बाद महादेवी वर्मा जी की शादी 11 वर्ष की आयु में कर दी थी उनके पति का नाम स्वरूपनारायण वर्मा था शादी होने के बाद महादेवी वर्मा की शिक्षा का विरोध उनके ससुर ने किया
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय हिंदी में
जिसके कारण उनकी शिक्षा अधूरी रह गई उसके बाद उनके ससुर की मृत्यु हो गई तथा उन्होंने फिर से अपनी शिक्षा का अध्ययन करना शुरू कर दिया जिसमें उन्होंने संस्कृत विषय से एम.ए.की शिक्षा का अध्ययन किया तथा प्रथम स्थान प्राप्त किया
सारी शिक्षाओं को प्राप्त करने के बाद उन्हें प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्य की उपाधि प्राप्त हुई उसके बाद महादेवी वर्मा की मृत्यु 11 सितंबर 1987 ईस्वी को हो गई
साहित्य सेवा-महादेवी वर्मा को महामानव के रूप में जाना जाता है क्योंकि महादेवी वर्मा अपने कल्पना लोग में जीती थी और विचार करते रहती थी ऐसा कहा जाता है कि महादेवी वर्मा अपने जीवन के यथार्थ के बहुत करीब थी इसलिए इन्हें महामानव कहा जाता है
बचपन से ही महादेवी वर्मा को काव्य के प्रति अधिक रूचि थी उस समय में छपने वाली प्रसिद्ध पत्रिका जो नारी पत्रिका थी जिसका नाम चांद था मैं महादेवी वर्मा की प्रारंभिक रचना छपी थी इसके बाद उन्होंने चांद पत्रिका का संपादन भी किया था इन्हें छायावाद की कवित्री के रूप में जाना जाता है
Mahadevi verma ने अपनी रचनाओं में समाज के अन्याय के प्रति अपनी दुखद भावनाओं को व्यक्त किया है और इस पर चिंता व्यक्त की है महादेवी वर्मा ने महादेव के नारी रूप को प्रदर्शित किया है और यह बताया है कि नारी को किस प्रकार अपने वास्तविक रूप को पहचानना चाहिए
Mahadevi Varma Jeevan Parichay
उत्तर प्रदेश के विधान परिषद की सदस्यता भी प्राप्त हुई थी यहां सदस्यता उनको अपने साहित्यिक उपलब्धियों के कारण प्राप्त हुई थी इसके बाद भारत के राष्ट्रपति के द्वारा महादेवी वर्मा को पद्मश्री पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था|
महादेवी वर्मा ने 1975 ईस्वी में कुमायूं विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लिया जिसमें उन्हें डी लिट की उपाधि प्राप्त हुई महादेवी वर्मा ने प्रयाग नगर में साहित्यकार संसद नाम की एक संस्था की स्थापना की तथा देहरादून में स्थित उत्तरायण नामक साहित्यिक आश्रम की स्थापना की गई |
महादेवी वर्मा की रचनाएं
रचनाएं- महादेवी वर्मा जी की प्रमुख रचनाएं निबंध संग्रह,आलोचना,संपादन,स्मरण और रेखाचित्र है महादेवी वर्मा प्रमुख रूप से गद्य खंड की कवित्री कहलाती है लेकिन उन्होंने गद्य तथा पद्य दोनों खंडों में अपनी रचनाओं का वर्णन किया है|
Mahadevi verma को अमर गायिका के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने अपने गद्य में नारी के प्रति सहजता तथा सरलता की भावना को व्यक्त किया है महादेवी वर्मा के निबंधों में विचारों की प्रधानता अत्यधिक है उन्होंने अपने गद्य में हिंदी का विवेचनात्मक वर्णन किया है|
महादेवी वर्मा भाषा शैैैैली – महादेवी वर्मा जी ने अपनी भाषा में खड़ी बोली का प्रयोग किया है उनकी भाषा अत्यंत सरल एवं मधुरता से भरी है जिसमें संस्कृत के शब्दों का भी प्रयोग मिलता है|
Mahadevi verma ने अपने गद्य की रचना भाषा तथा संगीत के माध्यम से की है उनके गद्य में शब्दों का स्थान उत्कृष्ट है तथा उन्होंने अपनी भाषा में अनुप्रास अलंकार का भी प्रयोग किया है जिसमें मुहावरों का सुंदर वर्णन हुआ है|
maha devi varma biography
Mahadevi verma जी की भाषा में इतनी मधुरता है कि उनके शब्दों को देखकर ऐसा लगता है कि मानो एक एक शब्द का अर्थ बोलता हुआ दिखाई देता है उन्होंने अपनी भाषा का प्रयोग शुद्ध तथा सरल वाणी में किया है
शैली-महादेवी वर्मा ने भावात्मक शैली से अपने गद्य में संपूर्ण भावों का वर्णन किया है जिसमें उन्होंने सुंदरता की भावना व्यक्त कि है महादेवी वर्मा ने रेखा चित्र का वर्णन भावात्मक शैली में किया है जिसके माध्यम से उन्होंने अलंकारिक हृदय के सौंदर्य को समझाया है
वर्णनात्मक शैली में महादेवी वर्मा ने अपने निबंध के सभी वर्ण क्रम का अध्ययन किया है तथा वाक्य को छोटे रूप में व्यक्त किया है चित्रात्मक शैली में उन्होंने व्यक्ति के चित्रात्मक जीवन सौंदर्य को दर्शाया है जिसमें व्यक्ति के शब्दों तथा गुणों का वर्णन हुआ है
Mahadevi verma ने विवेचनात्मक शैली का प्रयोग आलोचनात्मक निबंध में किया है तथा भाषा को सरल बना दिया है व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग उन्होंने तीखे व्यंग्य लिखते समय किया है जिसमें उन्होंने शिष्ट हास्य का भी सुधार किया है महादेवी वर्मा ने अपनी शैली में सूक्तिों का भी प्रयोग किया है
महादेवी वर्मा साहित्य में स्थान
महादेवी वर्मा साहित्य में स्थान- महादेवी वर्मा आधुनिक युग की कवित्री कहलाती है उन्होंने हिंदी साहित्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है महादेवी वर्मा ने अपनी रचनाओं में नारी के प्रति प्रेम भावनाओं को व्यक्त किया है
जिसमें उन्होंने नारी के जीवन का सुंदर वर्णन दर्शाया है वह समाज के प्रति जागरूक भावनाएं रखती थी और उन्होंने हिंदी साहित्य के प्रति अनेक निबंध लिखें जिसमें आलोचना द्वारा लिखा गया हिंदी का विवेचनात्मक गद्य उनकी प्रमुख रचना है महादेवी वर्मा की बहुमुखी साधना आलोचक तथा निबंध लेखिका प्रमुख है उन्होंने अपने साहित्य में नारी का स्थान सर्वोपरि माना है
यह भी पढे |
Surdas Biography In Hindi |
Meera Bai Biography in Hindi |
Ankit says
Bhai mahadevi verma ka janam 1907 me hua tha na ki 1960
Dhanyabad
sanjay456.net says
thank u batane ke liye