Ramchandra Shukla Biography in Hindi | Acharya Ramchandra shukla Jivan Parichay in Hindi Ramchandra shukla biography in Hindi | Short Biography of acharya ramchandra shukla in Hindi.
आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय इन हिंदी
जीवन परिचय- आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जन्म उत्तर प्रदेश के अगोना नामक गांव में 11 अक्टूबर सन 1884 में हुआ था उनके पिता का नाम पंडित चंद्रबली शुक्ल था
रामचंद्र शुक्ल के पिता सुपरवाइजर की नौकरी करते थे आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने एफ ए की शिक्षा पूरी कर मिर्जापुर के मिशन स्कूल में ड्राइंग के शिक्षक बने
आचार्य रामचंद्र शुक्ल और हिंदी आलोचना
रामचंद्र शुक्ल ने वाराणसी में रहकर हिंदी शब्द सागर नामक शब्दकोश का कार्य शुरू किया जिसमें उनके द्वारा लिखित लेख पत्र-पत्रिकाओं के नाम से जाने जाते है जब उन्होंने हिंदी शब्द सागर शब्दकोश का कार्य आरंभ किया था तब वह केवल 26 वर्ष के थे
उन्हें उस अवस्था में सहायक संपादक बना दिया था उसके बाद शुक्ल जी को वाराणसी के हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग का प्राध्यापक घोषित किया आचार्य रामचंद्र शुक्ल को सन 1937 में हिंदी विभाग का अध्यक्ष बना दिया गया और उनका स्वर्गवास 2 फरवरी सन 1940 को हो गया था
Ramchandra Shukla Biography in Hindi 2021
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध संग्रह
साहित्य सेवा- आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी हिंदी शब्द सागर तथा नागरी प्रचारिणी पत्रिका के प्रमुख कवि कहलाते हैं शुक्ल जी को बहुमुखी कवि के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने निबंधकार अनुवादक जैसे अन्य प्रकार के रूपो का वर्णन किया है
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने साहित्यिक जीवन में उच्च कोटि के निबंध कविताओं को भी लिखा है जिसने वैज्ञानिक समालोचना तथा साहित्यिक ग्रंथ भी लिखे हैं उनकी समालोचनाओं में गुण दोष विवेचन का अत्यधिक महत्व है
रामचंद्र शुक्ल की आलोचना दृष्टि pdf download
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने व्याख्यात्मक आलोचना पद्धति की नींव रखी जिसमें जायसी सूर और तुलसी के कार्यों का वर्णन मिलता है उन्होंने करुणा उत्साह और भक्ति जैसे अन्य मनोविकारों के बारे में सुंदर और सरल व्याख्या की है
शुक्ल जी की रचनाओं में चिंतामणि उनकी प्रमुख रचना है जिसमें उन्हें मंगला प्रसाद पारितोषिक पुरुस्कार से सम्मानित किया उसके बाद उन्होंने हिंदी साहित्य का इतिहास नामक ग्रंथ की रचना की जिसमें उन्हें हिंदुस्तानी एकेडमी की ओर से दूसरा पुरस्कार प्राप्त हुआ
रामचंद्र शुक्ल की रचनाएं इन हिंदी
रचनाएं- आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी की रचनाओं में हिंदी साहित्य का इतिहास,रस मीमांसा,त्रिवेणी,चिंतामणि, विचार वीथी,आदि इनकी प्रमुख रचनाएं है शुक्ल जी ने निबंध रचना के साथ मानव मनोभावों पर सुंदर विचार व्यक्त किए हैं
इसी प्रकार उन्होंने निबंध और आलोचना की रचना की तथा लोक मंगल और नैतिक आदर्श को सर्वोपरि माना जिसमें मनोभावों से संबंधित समीक्षात्मक तथा सैद्धांतिक निबंध संग्रह का वर्णन हुआ है
आचार्य रामचंद्र शुक्ल भाषा
भाषा- शुक्ल जी ने उनकी भाषा में खड़ी बोली का प्रयोग किया है जिसमें उनके विचारों का व्यावहारिक वर्णन मिलता है शुक्ल जी की भाषा परिष्कृत एवं प्रौढ भाषा भी है शुक्ल जी ने अपनी भाषा में कहावतों का भी प्रयोग किया है
वाक्य विन्यास भी लिखे हैं सामान्य भाषा में विचार करें तो उनकी भाषा सरल हैं जिसमें उन्होंने सजीव भाव का स्वभाविक चित्रण किया है शुक्ल जी ने तत्सम शब्दों का भी प्रयोग अपनी भाषा में किया तथा समास शक्ति को भी अपनाया था
आचार्य रामचंद्र शुक्ल शैली और हिंदी आलोचना
शैली-आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने समीक्षात्मक शैली,गवेषणात्मक शैली,भावात्मक शैली तथा हास्य विनोद एवं व्यंग्य प्रधान शैली को अपनाया हैं और शुक्ल जी उनकी शैली के स्वयं निर्माता कहलाते हैं
जिसमें उन्होंने शैली समास का आरंभ किया तथा व्यास शैली को समाप्त किया जिसके माध्यम से विचारों का वर्णन सूत्र रूपों में दिखाई देता है आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने निबंधों की रचना समीक्षात्मक शैली में की है
जिसके माध्यम से वाक्यों का प्रभाव छोटा होता है इसमें वाक्य विन्यास समान्य रूप से जटिल होते हैं शुक्ल जी ने अपनी शैली में भावनाओं का भी वर्णन व्यक्त किया है
आचार्य रामचंद्र शुक्ल का साहित्य में स्थान
साहित्य में स्थान- शुक्ल जी का हिंदी साहित्य के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रहा है जिसमें उन्होंने वैज्ञानिक आलोचना प्रणाली का वर्णन किया आचार्य रामचंद्र शुक्ल को युग प्रवर्तक निबंधकार कवि माना जाता है शुक्ल जी की भाषा शैली बहुत अच्छी थी जिसे अन्य साहित्यकार आदर्श के रूप में देखते हैं
आचार्य रामचंद्र शुक्ल का लेखक परिचय
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जाने वाले कवियों में से एक थे हिंदी भाषा में बहुत सारे बदलाव लाए आचार्य रामचंद्र शुक्ल को हिंदी आलोचक भी कहा जाता है इन्होंने हिंदी के निबंध कारक के रूप में जाना जाता है यह एक हिंदी भाषा के अच्छे कथाकार अनुवादक और साहित्यकार थे इनके द्वारा सर्वाधिक पुस्तक हिंदी भाषा में लिखी गई है
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